tulsi-niband/hindi
तुलसी मुख्यतः दो प्रकार की होती है। 1- श्वेत तुलसी, 2- कृष्ण तुलसी। इन्हे क्रमशः राम तुलसी और श्याम तुलसी भी कहते हैं। दोनो प्रकार की तुलसी में केवल वर्ण भेद ही होता है अन्यथा गुणों में समानता होती है। वर्षो पहले से ही घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाने की परम्परा प्रचलित है। महिलायें इसकी प्रतिदिन पूजा करके जल अर्पित करती है। घर से निकलने से पूर्व तुलसी के दर्शन करना शुभ माना जाता है। तुलसी का वृक्ष औषधीय गुणों से परिपूर्ण माना गया है। इनकी पत्तियों में कीटाणु नष्ट करने का एक विशेष गुण है। इसलिये मन्दिरों में चरणोदक जल में तुलसी की पत्तियां तोड़कर डाली जाती है जिससे जल के सारे कीटाणु नष्ट हो जाये और जल शुद्ध हो जाये।
1-यदि कोई भी व्यक्ति तुलसी की माला से किसी भी लक्ष्मी मन्त्र का यथा शक्ति 1 से 11 माला प्रतिदिन जप करे तो धन की प्राप्ति होने लगती है और उसके परिवार में सुख समृद्धि आती है।
2- जो भी व्यक्ति नित्य सुबह के समय स्नान आदि से निवृत होकर तुलसी के नीचे दीपक जलाकर पूजन करेगा। उस जातक के देवदोष समाप्त हो जायेंगे।
3- एक गमले में एक पौधा तुलसी का तथा एक पौधा काले धतूरे का लगायें। इन दोनों पौधों पर प्रतिदिन स्नान आदि से निवृत होकर शुद्ध जल में थोड़ा सा कच्चा दूध मिलाकर अर्पित करें। जो भी व्यक्ति यह प्रयोग नित्य 1 वर्ष तक करेगा उसे पितृदोष से मुक्ति मिल जायेगी। तथा उसको ब्रहमा, विष्णु, महेश, इन तीनों की संयुक्त पूजा फल मिलेगा चूंकि विष्णु प्रिया होने के कारण तुलसी विष्णु रूप है तथा काला धतूरा शिव रूप है एंव तुलसी की जड़ो में ब्रहमा का निवास स्थान माना जाता है।
4- एक छोटा सा चांदी का सर्प बनावाकर। इस सर्प की पूजा जिस दिन चर्तुदशी हो उस दिन स्नान कर तुलसी के पौधे के नीचे, इसे रखकर। इस पर दूध, अक्षत, रोली, आदि लगाकर इसकी पूजा करें। घी का दीपक भी जलायें। जिस समय पूजा करें उस समय साधक का मुख पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए। भोग अर्पित कर दान भी करें। दीपक जब ठण्डा हो जाये तो उसके बाद चाॅदी के सर्प को पूजा करने वाला व्यक्ति ही उठाकर किसी नदीं में प्रवाहित कर दे। इस प्रकार नित्य 40 दिन तक पूजन करने से कालसर्प दोष दूर हो जाता है।
diabetes-turmeric/hindi
मधुमेह केउपचार में हल्दी अत्यंत लाभकारी तरीकेसेकाम करती है। हल्दी का उपयोग पुरानेजमाने
सेही भोजन और घरेलूउपचारों में किया जाता रहा है। हल्दी का सबसेज्यादा उपयोग दाल व सब्जी
में किया जाता हैक्योंकि यह दाल व सब्जी का रंग पीला करता हैऔर भोजन को स्वादिष्ट भी बनाता
है। मधुमेह रोगियों केलिए हल्दी किसी औषधी सेकम नहीं है। मधुमेह केरोगियों को प्रतिदिन गरम
दूध में हल्दी चूर्ण मिलाकर पीना चाहिए। दरअसल, हल्दी में वातनाशक गुण होतेहैं जिससेमधुमेह की
समस्या सेनिजात पानेमें मदद मिलती है। आइए जानें मधुमेह रोगियों केलिए हल्दी का सेवन कैसे
लाभदायक है।
• आमतौर पर मधुमेह रोग का उपचार सभी चिकित्सा पद्धतियों सेकिया जाता है, किंतुहमारे
दैनिक आहार और मसालों में मधुमेह रोग एवं उससे होने वाली समस्याओं की रोकथाम व
नियंत्रण की अद्भुत क्षमता पाई जाती है। इन मसालोंमेंसेही एक है हल्दी।
• मधुमेह केअधिक बढ़ जानेपर आजीवन इंसुलिन लेनेकी आवश्यकता पड़ सकती है। मधुमेह
पीडि़त को जरा सी चोट लगनेपर भी घाव हो जाता हैया फिर वह स्थान नीला पड़ जाता हैऔर
उस स्थान पर दर्द होनेकी आशंका बढ़ जाती है। मधुमेह रोगी यदि प्रतिदिन आधा चम्मच
हल्दी का सेवन करेतो उन्हेंफायदा होगा।
• सालों सेहल्दी प्रतिरोधी क्षमता बढ़ानेकेलिए जानी जाती है। यानी इसकेनियमित सेवन से
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। मधुमेह रोगी केघाव या चोट पकनेकी स्थिति सेपहलेही
ठीक हो जातेहै। किसी कारण सेमधुमेह रोगी को लगी अंदरूनी चोट भी जल्दी ही ठीक हो जाती
है।
• हल्दी सेमधुमेह का रोग भी ठीक हो जाता है। हल्दी एक फायदेमंद औषधि है। हल्दी किसी भी
उम्र केव्यक्ति को दी जा सकती हैचाहेवह बच्चा हो, जवान हो, बूढ़ा हो और यहां तक की
गर्भवती महिला ही क्यों न हो। यह शरीर सेखून की गंदगी को दूर करती हैऔर रंग को साफ
करती है।
• हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण पाया जाता है। इस कारण घाव पर हल्दी लगानेसेघाव जल्द भर
जाता हैऔर ऐसेमें यदि मधुमेह रोगी प्रतिदिन किसी न किसी रूप में हल्दी का सेवन करें तो
उसकेघाव बढ़नेकी संभावनाएं खत्म हो जाएंगी।
• मधुमेह केरोगियों को रोजाना ताजेआंवलेकेरस या सूखेआंवलेकेचूर्ण में हल्दी का चूर्ण
मिलाकर सेवन करनेसेबहुत अधिक लाभ मिलता है।
• मधुमेह में आंवलेकेरस में हल्दी व शहद मिलाकर सेवन करनेसेभी मधुमेह रोगी को लाभ
मिलता है।
सेही भोजन और घरेलूउपचारों में किया जाता रहा है। हल्दी का सबसेज्यादा उपयोग दाल व सब्जी
में किया जाता हैक्योंकि यह दाल व सब्जी का रंग पीला करता हैऔर भोजन को स्वादिष्ट भी बनाता
है। मधुमेह रोगियों केलिए हल्दी किसी औषधी सेकम नहीं है। मधुमेह केरोगियों को प्रतिदिन गरम
दूध में हल्दी चूर्ण मिलाकर पीना चाहिए। दरअसल, हल्दी में वातनाशक गुण होतेहैं जिससेमधुमेह की
समस्या सेनिजात पानेमें मदद मिलती है। आइए जानें मधुमेह रोगियों केलिए हल्दी का सेवन कैसे
लाभदायक है।
• आमतौर पर मधुमेह रोग का उपचार सभी चिकित्सा पद्धतियों सेकिया जाता है, किंतुहमारे
दैनिक आहार और मसालों में मधुमेह रोग एवं उससे होने वाली समस्याओं की रोकथाम व
नियंत्रण की अद्भुत क्षमता पाई जाती है। इन मसालोंमेंसेही एक है हल्दी।
• मधुमेह केअधिक बढ़ जानेपर आजीवन इंसुलिन लेनेकी आवश्यकता पड़ सकती है। मधुमेह
पीडि़त को जरा सी चोट लगनेपर भी घाव हो जाता हैया फिर वह स्थान नीला पड़ जाता हैऔर
उस स्थान पर दर्द होनेकी आशंका बढ़ जाती है। मधुमेह रोगी यदि प्रतिदिन आधा चम्मच
हल्दी का सेवन करेतो उन्हेंफायदा होगा।
• सालों सेहल्दी प्रतिरोधी क्षमता बढ़ानेकेलिए जानी जाती है। यानी इसकेनियमित सेवन से
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। मधुमेह रोगी केघाव या चोट पकनेकी स्थिति सेपहलेही
ठीक हो जातेहै। किसी कारण सेमधुमेह रोगी को लगी अंदरूनी चोट भी जल्दी ही ठीक हो जाती
है।
• हल्दी सेमधुमेह का रोग भी ठीक हो जाता है। हल्दी एक फायदेमंद औषधि है। हल्दी किसी भी
उम्र केव्यक्ति को दी जा सकती हैचाहेवह बच्चा हो, जवान हो, बूढ़ा हो और यहां तक की
गर्भवती महिला ही क्यों न हो। यह शरीर सेखून की गंदगी को दूर करती हैऔर रंग को साफ
करती है।
• हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण पाया जाता है। इस कारण घाव पर हल्दी लगानेसेघाव जल्द भर
जाता हैऔर ऐसेमें यदि मधुमेह रोगी प्रतिदिन किसी न किसी रूप में हल्दी का सेवन करें तो
उसकेघाव बढ़नेकी संभावनाएं खत्म हो जाएंगी।
• मधुमेह केरोगियों को रोजाना ताजेआंवलेकेरस या सूखेआंवलेकेचूर्ण में हल्दी का चूर्ण
मिलाकर सेवन करनेसेबहुत अधिक लाभ मिलता है।
• मधुमेह में आंवलेकेरस में हल्दी व शहद मिलाकर सेवन करनेसेभी मधुमेह रोगी को लाभ
मिलता है।
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